एनल फिशर गुदा की परत का दरार है। गुदा की आंतरिक परत में आघात पहुँचने से इसका निर्माण होता है। यह आघात कठोर मल का त्याग करने या किसी अन्य खिंचाव के कारण हो सकता है। जिन लोगों की स्फिंकटर मांसपेशियां कड़ी होती हैं उनमें फिशर विकसित होने की संभावना बहुत अधिक रहती है।
एनल फिशर के दो प्रकार हैं:
- एक्यूट एनल फिशर: यह एक पेपर कट की तरह दिखता है और ज्यादा लक्षण उत्पन्न नहीं करता है।
- क्रोनिक एनल फिशर: एक गहरे कट की तरह दिखाई देता है। यदि एक्यूट एनल फिशर आठ सप्ताह के भीतर ठीक नहीं हुआ तो क्रोनिक फिशर में बदल जाता है।
क्रोनिक एनल फिशर का इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
एनल फिशर का निदान
एक गुदा रोग विशेषज्ञ आपके मेडिकल इतिहास के बारे में पूछेगा और आपके गुदा क्षेत्र को देखेगा। साथ ही डॉक्टर डिजिटल रेक्टल टेस्ट कर सकता है।
फिशर की पोजीशन इसके होने का कारण बतला सकती है। यदि फिशर गुदा के आगे या पीछे न होकर, गुदा उद्घाटन के साइड में होता है तो संभावना है कि आपको क्रोहन रोग है। अगर डॉक्टर को किसी बड़ी स्थिति या बीमारी का संदेह होता है तो वह निम्न परीक्षण कराने की सिफारिश करेगा:
- एनोस्कोपी: इस टेस्ट में एनोस्कोप नामक उपकरण की मदद से डॉक्टर मलाशय और गुदा के भीतर आसानी से देख पाता है।
- फ्लेक्सिबल सिग्मायोडोस्कोपी: एक पतली और लचीली ट्यूब जिसमे कैमरा सम्मिलित होता है, रोगी के आंत के निचले हिस्से में डाली जाती है। यदि आपकी उम्र 50 वर्ष से कम है और आपको आंत के कैंसर या अन्य बीमारियों का जोखिम नहीं है तो यह टेस्ट किया जाएगा ।
- कोलोनोस्कोपी: रोगी के कोलन में एक फ्लेक्सिबल ट्यूब डाली जाती है। यदि आपकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है या आंत के कैंसर का खतरा है तो यह परीक्षण किया जाएगा।
एनल फिशर का ऑपरेशन
एनल फिशर का लेजर ऑपरेशन
एनल फिशर की लेजर सर्जरी फिशर का सबसे एडवांस और आसान उपचार है। यह बिना किसी जटिलता के फिशर को ठीक करती है। लेजर सर्जरी में फिशर के पुनरावृत्ति की संभावना न के बराबर होती है।
प्रक्रिया में CO2 लेजर की मदद से इन्फ्रारेड रेडिएशन को फिशर वाली जगह पर छोड़ा जाता है। परिणामस्वरूप प्रभावित क्षेत्र का ब्लो फ्लो बढ़ जाता है और तुरंत फिशर के दर्द से राहत मिलती है।
आमतौर पर शुरूआती, एक्यूट एनल फिशर का इलाज करने के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। यदि मेडिकल इलाज के बावजूद 3-4 हफ़्तों में यह ठीक नहीं होता है या स्थिति क्रोनिक हो गई है, तो सर्जरी की जानी चहिए।
क्रोनिक एनल फिशर को केवल दवाइयों से ठीक कर पाना बहुत मुश्किल होता है। यदि क्रोनिक एनल फिशर का इलाज नहीं हुआ तो यह गुदा में एक फोड़ा का निर्माण करेगा और आपको फिस्टुला हो सकता है।
एनल फिशर की सर्जरी के कई विकल्प मौजूद हैं जो स्थाई राहत प्रदान कर सकते हैं।
पढ़ें- एनल फिशर के ऑपरेशन में कितना खर्च आता है?
लेटरल इंटरनल स्फिंक्टरोटॉमी (LIS)
लेटरल इंटरनल स्फिंक्टरोटॉमी एक प्रचलित सर्जिकल प्रक्रिया है। इस ऑपरेशन में सामान्य या स्पाइनल एनेस्थीसिया का उपयोग होता है। लोकल एनेस्थीसिया भी उपयोगी हो सकता है लेकिन डॉक्टर इसका इस्तेमाल बहुत कम करते हैं।
इस सर्जरी का मुख्य उद्देश्य हाइपरट्रॉफाइड इंटरनल स्फिंकटर को काटना है जिससे तनाव रिलीज हो और फिशर ठीक हो सके। प्रक्रिया के दौरान बाहरी स्फिंकटर को नहीं काटा जाना चाहिए और न ही इसे कोई क्षति पहुंचनी चाहिए।
स्फिंक्टरोटॉमी दो तरीकों से की जा सकती है:
- क्लोज्ड स्फिंक्टरोटॉमी: क्लोज्ड स्फिंक्टरोटॅामी की प्रक्रिया में नंबर 11 ब्लेड (एक प्रकार का धारदार सर्जिकल उपकरण) को साइड से इंटरस्फिंटरिक ग्रूव (गुदा नहर की बाउंड्री) में डाला जाता है। फिर इसे बीच में घुमाया जाता है और बाहर निकाल लिया जाता है जिससे इंटरनल स्फिंकटर कट जाती है।
इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि एनल म्यूकोसा न कटे। यदि म्यूकोसा कट जाता है तो रोगी को भगंदर होने का खतरा रहता है। ब्लेड निकालने के बाद एनल म्यूकोसा की छूकर जांच की जाती है और सुनिश्चित किया जाता है कि आंतरिक स्फिंक्टर में बदलाव हुआ है।
एनल फिशर की लंबाई के अनुसार ही स्फिंक्टरोटॉमी प्रक्रिया को गुदा नहर में प्रस्तारित किया जाता है।
- ओपन स्फिंक्टरोटॉमी: ओपन स्फिंक्टरोटॉमी की प्रक्रिया में सर्जन इंटरस्फिंक्टेरिक क्षेत्र में लगभग 0.5 से 1 सेंटीमीटर का चीरा लगाता है। इसके बाद इंटरनल स्फिंकटर की कुंडली बनाकर चीरे वाले क्षेत्र में लाई जाता है। अब आंतरिक स्फिंक्टर के दोनों सिरों को प्रत्यक्ष देखकर काटा जाता है, और फिर वापस सही स्थान पर गिरने दिया जाता है।
फिर ठीक क्लोज्ड स्फिंक्टरोटॉमी की तरह एनल म्यूकोसा को छूकर जांचा जाता है और बदलाव को महसूस किया जाता है। डॉक्टर चीरा को सिल सकता है या हील होने के लिए खुला छोड़ सकता है।
फिशरेक्टोमी
फिशरेक्टोमी की प्रक्रिया में एनल फिशर के आसपास की सतह की त्वचा को छांटा जाता है। इसे सामान्य एनेस्थीसिया देकर किया जाता है। सर्जरी के घाव को सर्जन बंद कर सकता है या खुला छोड़ सकता है।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक़ यदि फिशरेक्टोमी को बोटुलिनम इंजेक्शन के साथ किया जाए तो इसका हीलिंग रेट लगभग 93 प्रतिशत होता है और जटिलताओं की संभावना केवल 7% रहती है।
क्रोनिक एनल फिशर की स्थिति में सर्जन फिशरेक्टोमी के साथ लेटरल स्फिंक्टरोटॉमी कर सकता है। इस मामले में सर्जन हाइपरट्रॉफाइड पैपिला और स्किन को छांटता है और फिशर को खुद से ठीक होने के लिए खुला छोड़ देता है।
हालांकि, फिशरेक्टोमी के साथ लेटरल स्फिंक्टरोटॉमी करना रोगी में कई जटिलताओं को जन्म दे सकता है। इसलिए इस संयोजित प्रक्रिया का उपयोग बहुत कम होता है।
बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन (Botox)
बोटुलिनम टॉक्सिन या बोटॉक्स एक प्रकार की दवा है जिसका उपयोग मांसपेशियों में ऐंठन दूर करने के लिए किया जाता है। जब बोटॉक्स का उपयोग एनल फिशर में होता है तो इसे रासायनिक स्फिंक्टरोटॉमी कहते हैं।
इस प्रक्रिया को हॉस्पिटल में, ऑपरेटिंग रूम में किया जाता है। इसे लोकल या जनरल एनेस्थीसिया के प्रभाव में किया जा सकता है। अधिकाँश मामलों में जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग ही होता है।
सर्जन आमतौर पर 100 इकाई वाले इंजेक्शन (onabotulinumtoxinA) का उपयोग करता है। 40-40 यूनिट दवा दाएं और बाएँ इंटरस्फिंक्टेरिक ग्रूव में इंजेक्ट की जाती है, साथ ही 10-10 यूनिट गुदा नहर के अगले और पिछले भाग में इंजेक्ट की जाती है। प्रक्रिया के बाद लगभग 8 सप्ताह तक रोगी को मल सॉफ़्नर का सेवन करना पड़ता है।
बोटुलिनम टॉक्सिन का सक्सेस रेट लगभग 60-80% और हीलिंग रेट लगभग 67-90% है। इस प्रक्रिया से उपचार के उपरान्त एक साल के भीतर फिशर की पुनरावृत्ति की संभावना 40 से 50 प्रतिशत रहती है।
एनल एडवांसमेंट फ्लैप
इसे डर्मल फ्लैप कवरेज (Dermal Flap Coverage) भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में किसी दूसरे अंग के स्वस्थ ऊतकों को काटकर, फिशर वाले क्षेत्र में लगाकर, रक्त प्रवाह को बेहतर किया जाता है। फिर इसे हील होने के लिए छोड़ दिया जाता है।
एनल एडवांसमेंट फ्लैप की प्रक्रिया में जनरल एनेस्थीसिया का उपयोग होता है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि इसमें स्फिंकटर मांसपेशियों को नहीं काटा जाता है। जिन रोगियों में अन्य उपचार प्रक्रियाओं के बावजूद फिशर ठीक नहीं हो रहा या दोबारा से हो जाता है उनके लिए एनल एडवांसमेंट फ्लैप एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें मल असंयम का जोखिम नहीं होता है।
लेजर विधि का चयन क्यों करें?
एनल फिशर की लेजर सर्जरी फिशरेक्टोमी या स्फिंक्टरोटॉमी की तुलना में बेहतर रिजल्ट देती है। यह अन्य सर्जिकल प्रक्रियाओं के मुकाबले कम इनवेसिव, कम दर्द युक्त और पुनरावृत्ति की संभावना को कम करती है। साथ ही फ़ास्ट प्रक्रिया, फ़ास्ट हॉस्पिटल डिस्चार्ज और फ़ास्ट रिकवरी प्रदान करती है।
एनल फिशर का लेजर ऑपरेशन के निम्न फायदे होते हैं:
- बिना कट और ब्लीडिंग के उपचार
- लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग होता है जिससे एनेस्थीसिया संबंधित जटिलताएं कम होती हैं और केवल 2-4 घंटा तक रहती हैं।
- आधा घंटा में उपचार
- एक दिन में अस्पताल से डिस्चार्ज
- फिशर के पुनरावृत्ति की बहुत कम संभावना
- मल असंयम का खतरा नहीं
- सर्जरी के 2 दिन बाद से काम पर जा सकते हैं।
एनल फिशर की सर्जरी के दुष्प्रभाव
एनल फिशर का लेजर उपचार के बहुत कम साइडइफेक्ट होते हैं वो भी एक सीमित समय तक। अन्य सर्जिकल प्रक्रियाओं के बाद रोगी में निम्न दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं:
- गैस या मल त्याग को पूरी तरह नियंत्रित कर पाने में परेशानी होना।
- बहुत दुर्लभ मामलों में बोटॉक्स दूसरे अंगों तक पहुंच सकता है जिससे सांस लेने में कठिनाई और मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है।
- संक्रमण, जो बाद में एक फोड़ा के रूप में विकसित हो सकता है।
- फिस्टुला
यदि आपको बहुत अधिक दर्द है, ब्लीडिंग हो रही है या तेज बुखार है तो शीघ्र ही डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
एनल फिशर का ऑपरेशन के बाद देखभाल
गुदा विदर की सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक आपको गुदा क्षेत्र में दर्द होगा जिसके लिए डॉक्टर पेनकिलर देगा। मल को मुलायम करने और कब्ज से बचाव करने के लिए आपको रेचक पदार्थ का सेवन करने को कहा जाएगा।
यदि ऑपरेशन में सामान्य एनेस्थेसिया का उपयोग होता है तो एक-दो दिन तक आप मदहोसी का अनुभव करेंगे। इस दौरान आपको ड्राइविंग, मशीनरी कार्य और शराब के सेवन से बचना चाहिए। जब तक एनेस्थेसिया का प्रभाव खत्म नहीं हो जाता है तब तक घर पर ही रहें।
रिकवरी के दौरान आपको फल, सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में फाइबर मौजूद होता है। मल को नरम करने के लिए भरपूर पानी पिएं।
मल त्याग के पश्चात गुदा क्षेत्र को अच्छी तरह धोएं और सूती कपड़े से पोछें। आप टॉयलेट पेपर में खून के धब्बे देख सकते हैं जो सामान्य बात है। कुछ रोगियों में मल त्याग के दौरान गुदा से चिपचिपे पदार्थ का रिसाव हो सकता है।
रिकवरी का समय प्रत्येक रोगी में अलग-अलग हो सकता है। यदि आपने लेजर सर्जरी कराई है तो दो दिन बाद से काम पर जा सकते हैं और 3-4 हफ्तों में पूरी तरह रिकवर हो जाते हैं। स्फिंक्टरोटॉमी या फिशरेक्टोमी के बाद 1-2 हफ्ते में काम पर जा सकते हैं और 6-8 सप्ताह में पूरी तरह रिकवर हो जाते हैं।
निष्कर्ष
एक्यूट एनल फिशर के लिए सबसे पहले नॅान इनवेसिव विकल्पों का चयन करना चाहिए, जैसे सिट्ज बाथ, टॉपिकल एनेस्थेटिक क्रीम इत्यादि। अगर इनसे मदद नहीं मिलती है तो फिर बिना देरी किए उचित सर्जिकल प्रक्रियाओं का चयन करना चाहिए।
पोस्ट-स्फिंक्टरोटॉमी रोगी को यदि फिशर होता है तो एडवांसमेंट फ्लैप प्रक्रिया एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, फिशर की लेजर सर्जरी सबसे आसान और जोखिम रहित प्रक्रिया है, जो पुनरावृत्ति की संभावना को लगभग शून्य कर देती है।
कुछ दुर्लभ मामलों में एनल फिशर का कारण पुरानी एनल सर्जरी, आंत में सूजन, कैंसर या यौन संचारित रोग हो सकते हैं। इन परिस्थितियों का संदेह होने पर डॉक्टर एक्स्ट्रा टेस्ट कर सकता है और फिर उचित इलाज किया जाता है।
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