अक्सर लोग बवासीर और भगंदर को एक ही बीमारी समझने की भूल करते हैं, लेकिन इन दोनों में बड़ा बारीक अंतर होता है। इन दोनों में केवल दो चीज समान हो सकती है। एक कि यह गुदा रोग हैं और दूसरा इनके लक्षण। जी हाँ, बवासीर और भगंदर के ज्यादातर लक्षण एक समान होते हैं। यही वजह है कि लोग इसमें अंतर नहीं कर पाते।
चलिए जानते हैं कि बवासीर और भगंदर में क्या अंतर होता है और इस अंतर को कैसे पहचाना जाए?
परिभाषा
भगंदर क्या है?
गुदा के मध्य भाग की एनल ग्लैंड संक्रमित हो जाती है और एक फोड़ा का निर्माण करती है, जिसमें समय के साथ पस भरने लगता है। संक्रमित ग्लैंड और फोड़ा के बीच एक मार्ग का निर्माण होता है जिसे फिस्टुला या भगंदर कहते हैं।
भगन्दर दर्द्युक्त होता है। कई महीनों तक इसका इलाज न किया जाए तो संक्रमण पूरे शरीर में फ़ैल सकता है।
बवासीर क्या है?
बवासीर, जिसे पाइल्स भी कहा जाता है, गुदा के अंतिम भाग की नसों का सूजन है। शुरुआत में यह दर्दनाक नहीं होता है लेकिन समय के साथ स्टेज बढ़ता जाता है और दर्द भी बढ़ता है।
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जब गुदा के भीतर बवासीर का निर्माण होता है तो इसे आंतरिक बवासीर कहते हैं और जब गुदा के बाहर होता है तो बाहरी बवासीर कहते हैं।
बवासीर को चार ग्रेड में बांटा गया है, ग्रेड के अनुसार ही इसका इलाज किया जाता है।
कारण
भगन्दर के कारण
भगंदर का सबसे बड़ा कारण गुदा में फोड़ा होना है। गुदा के आंतरिक ग्लैंड में संक्रमण के कारण फोड़ा का निर्माण होता है। धीरे-धीरे फोड़ा का आकार बढ़ता है और फिस्टुला का निर्माण हो जाता है।
कुछ अन्य कारण जो भगंदर की स्थिति पैदा करते हैं:
- क्रोहन रोग: यह एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है जिसमें पाचन प्रणाली में सूजन आ जाता है।
- डायवर्टिकुलस: आंत की परत में छोटे-छोटे उभार विकसित होने लगते हैं।
- hidradenitis suppurativa: एक दीर्घकालिक त्वचा की बीमारी जो फोड़ा और स्कार का कारण बनती है, एनल फिस्टुला का निर्माण कर सकती है।
- ट्यूबरक्लोसिस या एचआईवी इन्फेक्शन का संक्रमण
- गुदा सर्जरी
- गुदा में चोट लगना
- गुदा या गुदा के आसपास रेडिएशन ट्रीटमेंट
बवासीर के कारण
जब गुदा के भीतर की मांसपेशियों में दबाव या खिंचाव बढ़ता है तो सूजन आ जाता है। निम्न कारक इसमें योगदान करते हैं:
- मल त्याग के दौरान तनाव
- गर्भावस्था
- पुरानी दस्त या कब्ज
- भारी वजन उठाना
- गुदा मैथुन करना
- काफी देर तक टॉयलेट शीट पर बैठना
- मोटापा
- कम फाइबर का सेवन करना
लक्षण
भगंदर के लक्षण
- गुदा में दर्द
- गुदा में सूजन
- गुदा से पस का रिसाव
- गुदा की त्वचा में लालिमा और जलन
- बुखार और थकान
- गुदा से खून निकलना
- पेशाब करते समय और मल त्याग के समय दर्द
- मल असंयमता
बवासीर के लक्षण
- गुदा के बाहर या भीतर मांसपेशियों का ढेर
- लालिमा
- मल त्याग के दौरान दर्द
- दर्दरहित ब्लीडिंग
- कब्ज महसूस करना
- बुखार
- गुदा में खुजली
बवासीर और भगंदर में अंतर
बवासीर | भगंदर |
गुदा की नसों का सूजन | संक्रमित ग्लैंड और फोड़ा के बीच की सुरंग |
शुरुआत में दर्दरहित | शुरुआत से ही दर्दनाक |
मल त्याग के दौरान दर्द | दर्द के साथ खून और पस का रिसाव |
निदान आसानी से हो जाता है | एमआरआई या सोनोफिस्टुलोग्राम से निदान |
शुरुआती ग्रेड में दवा और घरेलू इलाज संभव | सर्जरी ही एकमात्र सफल उपचार |
इलाज
लेजर सर्जरी की मदद से बवासीर और फिस्टुला, दोनों का सफल इलाज किया जा सकता है। मौजूदा समय में इसी सर्जिकल विधि का सबसे अधिक उपयोग हो रहा है।
आमतौर पर शुरूआती ग्रेड की बवासीर के लिए सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन फिस्टुला की स्थिति में शुरुआत से ही सर्जिकल उपचार की जरूरत होती है। यदि आप लेजर सर्जरी से उपचार कराते हैं तो आपको हॉस्पिटल में एडमिट रहने या बहुत दिनों तक घर में बैठने की मजबूरी नहीं रहेगी। लेजर सर्जरी के केवल दो दिन के बाद से आप सामन्य जीवन जीने लगेंगे।
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निष्कर्ष
बवासीर और भगंदर के ज्यादातर लक्षण मिलते-जुलते हैं, यही कारण है कि इन्हें पहचानना आसान नहीं होता है। एक गुदा रोग विशेषज्ञ बवासीर का निदान केवल फिजिकल एग्जाम के तहत कर सकता है लेकिन भगंदर की पुष्टि करने के लिए अधिकतर मेडिकल टेस्ट का सहारा लेना पड़ता है।
यदि आप भी गुदा रोग के लक्षणों से परेशान हैं और भगंदर या बवासीर के बीच स्पष्ट अंतर नहीं कर पा रहे हैं, तो हमारी मदद ले सकते हैं। आप हमारे गुदा रोग विशेषज्ञ से वीडियो कॉल के जरिए अपने लक्षण साझा कर सकते हैं।
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