निचले मलाशय या गुदा के भीतर की नसों में सूजन को बवासीर कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है:
- आंतरिक बवासीर
- बाहरी बवासीर
दोनों प्रकार के बवासीर में गुदा से खून निकल सकता है और दोनों प्रोलैप्स हो सकते हैं।
मल त्याग के दौरान तनाव, पुरानी कब्ज या दस्त, गर्भावस्था, लंबे समय तक टॉयलेट शीट पर बैठना, भारी चीजें उठाना, ये सभी चीजें बवासीर का कारण हो सकती हैं।
बवासीर के चार ग्रेड होते हैं:
- ग्रेड I: खून निकल सकता है लेकिन मस्से प्रोलैप्स नहीं होते हैं।
- ग्रेड II: मस्से प्रोलैप्से होते हैं लेकिन मल त्याग के बाद स्वतः भीतर चले जाते हैं।
- ग्रेड III: मस्से बाहर निकलते हैं और खुद से अंदर नहीं जाते। हाँथ से अंदर धकेलना पड़ता है।
- ग्रेड IV: हांथ से अंदर धकेलने के बावजूद मस्से गुदा के भीतर नहीं जाते हैं।
बवासीर का जांच कैसे होता है?
एक गुदा रोग विषेशज्ञ बवासीर का जांच करने के लिए निम्न प्रकियाएं कर सकता है:
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मेडिकल इतिहास
डॉक्टर आपसे आपका मेडिकल डाटा देने को कह सकता है। आप क्या खाते हैं? कितनी बार शौचालय जाते हैं? रेचक का उपयोग करते हैं या नहीं? और इन दिनों आप कौन सी दवाइयां ले रहे हैं? समेत अन्य सवाल पूंछ सकते हैं। इसके बाद डॉक्टर लक्षणों को विस्तार से बताने को कहेगें, जैसे:
- ब्लीडिंग होती है या नहीं?
- मल त्याग के दौरान दर्द होता है या नहीं?
- मल त्याग के दौरान मस्से गुदा के बाहर निकलते हैं या हमेशा बाहर निकले रहते हैं?
- उठते-बैठते दर्द होता है या नहीं?
- मल कठोर रहता है या मुलायम?
इस तरह के प्रश्नों से रोगी के लक्षणों की गंभीरता को समझा जा सकता है और बवासीर का ग्रेड पता लगाने में आसानी होती है।
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फिजिकल एग्जाम
आपका डॉक्टर गुदा के आसपास के क्षेत्र की जांच करेगा, और देखेगा:
- गांठ
- सूजन
- मल या चिपचिपे पदार्थ का रिसाव
- एनल फिशर (गुदा की मांसपेशी में दरार)
- बवासीर प्रोलैप्स है या नहीं
- खून का थक्का
डिजिटल रेक्टल एग्जाम: यह एक फिजिकल जांच प्रक्रिया है जिसमें दस्ताने पहनकर और उंगली में चिकनाहट लगाकर, चिकिस्तक उंगली को गुदा के भीतर डालता है। इस टेस्ट की मदद से गांठ, सूजन, मांसपेशियों की कठोरता और आंतरिक बवासीर की स्थिति का जायजा लिया जा सकता है।
प्रक्रियाएं
बाहरी बवासीर की जांच केवल गुदा क्षेत्र को देखकर और कुछ शारीरिक परीक्षण द्वारा की जा सकती है। आंतरिक बवासीर का निदान करने के लिए इमेजिंग प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ सकता है।
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- एनोस्कोपी: यह मलाशय के निचले हिस्से और गुदा लाइनिंग को देखने की प्रक्रिया है। इसमें एनोस्कोप नामक उपकरण गुदा के भीतर डाला जाता है। एनोस्कोपी के लिए अधिकांश रोगियों को एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है।
- रिजिड प्रोक्टो सिग्मोइडोस्कोपी: यह प्रक्रिया बिलकुल एनोस्कोपी की तरह है, बस इसमें डॉक्टर आंत के निचले हिस्से और मलाशय को देखने के लिए प्रोक्टोस्कोप नामक उपकरण का उपयोग करता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी अधिकांश लोगों को एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है।
यदि लक्षण किसी अन्य पाचन तंत्र की बीमारी का संकेत दे रहे हैं तो डॉक्टर कोलोनोस्कोपी या फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी की सलाह दे सकता है। गुदा कैंसर और बवासीर के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं, इसलिए यह परीक्षण आवश्यक हो जाते हैं।
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निष्कर्ष
जांच के बाद उपचार की प्रक्रिया शुरू होती है। इलाज की प्रक्रिया का चयन मुख्यतः ग्रेड के आधार पर होता है। प्रथम ग्रेड के बवासीर का इलाज इंजेक्शन, दवा और क्रीम के माध्यम से किया जा सकता है। दूसरे ग्रेड के अंतिम चरण से लेकर चौथे ग्रेड के शुरूआती चरण का बवासीर है, तो लेजर उपचार सबसे बेहतर माना जाता है।
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